घर को बाद में बनवाया जाता है पहले पानी की व्यवस्था देखी जाती है। आजकल कम से कम लोग ही प्राकृतिक पानी का उपयोग करते है पानी अधिकतर या तो सरकारी स्तोत्रों से सुलभ होता है या फ़िर अपने द्वारा ही बोरिंग आदि करवाने से प्राप्त होता है। भारत में पानी के लिये हिमाचल काश्मीर और उत्तराखण्ड के साथ बंगाल बिहार आसाम नागालेंड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ समुद्र तटीय स्थान पानी की सुलभता से पूर्ण है। अधिकतर भागों से स्वच्छ जल की प्राप्ति होती है और अधिकतर भागों में पानी बहुत कीमती हो जाता है जैसे राजस्थान के पश्चिमी जिलों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में और मध्य प्रदेश तथा छत्तीस गढ के साथ उडीसा आदि स्थानों में पानी की कमी मिलती है,कहीं कहीं पानी तो पांच सौ फ़ीट के नीचे से बोरिंग के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
बिना पानी के क्षेत्रों के लोगों का स्वभाव रूखा होता है,पानी की अधिकता वाले क्षेत्रों के लोगों का स्वभाव मधुर भी होता है और दिमागी भी होता है। उत्तर में भारी पानी मिलता है तो दक्षिण में पानी हल्का मिलता है। जितनी गहराई से पानी को प्राप्त किया जाता है उतने ही मिनरल अधिक पानी के अन्दर पाये जाते है और जितना पानी उथला मिलता है उतना ही पानी के अन्दर कीटाणुओं का मिलना पाया जाता है। अधिकतर स्थानों में नमी के कारण लोगों का रहना मुश्किल होता है और अधिकतर स्थानों में अगर बरसात में अच्छा पानी बरस जाये तो लोग बेघर भी बहुत जल्दी हो जाते है।
मकान में पानी का स्थान सभी मतों से ईशान से प्राप्त करने को कहा जाता है और घर के पानी को उत्तर दिशा में घर के पानी को निकालने के लिये कहा जाता है,लेकिन जिनके घर पश्चिम दिशा की तरफ़ अपनी फ़ेसिंग किये होते है और पानी आने का मुख्य स्तोत्र या तो वायव्य से होता है या फ़िर दक्षिण पश्चिम से होता है,उन घरों के लिये पानी को ईशान से कैसी प्राप्त किया जा सकता है,इसके लिये वास्तुशास्त्री अपनी अपनी राय के अनुसार कहते है कि पानी को पहले ईशान में ले जायें,घर के अन्दर पानी का इन्टरेन्स कहीं से भी हो,लेकिन पानी को ईशान में ले जाने से पानी की घर के अन्दर प्रवेश की क्रिया से तो दूर नही किया जा सकता है,मुख्य प्रवेश को महत्व देने के लिये पानी का घर मे प्रवेश ही मुख्य माना जायेगा।
पानी के प्रवेश के लिये अगर घर का फ़ेस साउथ में है तो और भी जटिल समस्या पैदा हो जाती है,दरवाजा अगर बीच में है तो पानी को या तो दरवाजे के नीचे से घर में प्रवेश करेगा,या फ़िर नैऋत्य से या अग्नि से घर के अन्दर प्रवेश करेगा,अगर अग्नि से आता है तो कीटाणुओं और रसायनिक जांच से उसमे किसी न किसी प्रकार की गंदगी जरूर मिलेगी,और अगर वह अग्नि से प्रवेश करता है तो घर के अन्दर पानी की कमी ही रहेगी और जितना पानी घर के अन्दर प्रवेश करेगा उससे कहीं अधिक महिलाओं सम्बन्धी बीमारियां मिलेंगी।
पानी को उत्तर दिशा वाले मकानों के अन्दर ईशान और वायव्य से घर के अन्दर प्रवेश दिया जा सकता है,लेकिन मकान के बनाते समय अगर पानी को ईशान में नैऋत्य से ऊंचाई से घर के अन्दर प्रवेश करवा दिया गया तो भी पानी अपनी वही स्थिति रखेगा जो नैऋत्य से पानी को घर के अन्दर लाने से माना जा सकता है। पानी को ईशान से लाते समय जमीनी सतह से नीचे लाकर एक टंकी पानी की अण्डर ग्राउंड बनवानी जरूरी हो जायेगी,फ़िर पानी को घर के प्रयोग के लिये लेना पडेगा,और पानी को वायव्य से घर के अन्दर प्रवेश करवाते है तो घर के पानी को या तो दरवाजे के नीचे से पानी को निकालना पडेगा या फ़िर ईशान से पानी का बहाव घर से बाहर ले जायेंगे,इस प्रकार से ईशान से जब पानी को बाहर निकालेंगे तो जरूरी है कि पानी के प्रयोग और पानी की निकासी के लिये ईशान में ही साफ़सफ़ाई के साधन गंदगी निस्तारण के साधन प्रयोग में लिये जानें लगेंगे। और जो पानी की आवक से नुकसान नही हुआ वह पानी की गंदगी से होना शुरु हो जायेगा।
पूर्व मुखी मकानों के अन्दर पानी को लाने के लिये ईशान को माना जाता है,दक्षिण मुखी मकानों के अन्दर पानी को नैऋत्य और दक्षिण के बीच से लाना माना जाता है,पश्चिम मुखी मकानों के अन्दर पानी को वायव्य से लाना माना जाता है,उत्तर मुखी मकानों के अन्दर भी पानी ईशान से आराम से आता है,इस प्रकार से पानी की समस्या को हल किया जा सकता है।
जिन लोगों ने पानी को गलत दिशा से घर के अन्दर प्रवेश दे दिया है तो क्या वे पानी की खातिर पूरी घर की तोड फ़ोड कर देंगे,मेरे हिसाब से बिलकुल नही,इस प्रकार की कभी भूल ना करे,कोई भी कह कर अपने घर चला जायेगा लेकिन एक एक पत्थर को लगाते समय जो आपकी मेहनत की कमाई का धन लगा है वह आप कैसे तोडेंगे,उसके लिये केवल एक बहुत ही बढिया उपाय है कि नीले रंग के प्लास्टिक के बर्तन में नमक मिलाकर पानी को घर के नैऋत्य में रख दिया जाये,और इतनी ऊंचाई पर रखा जाये कि उसे कोई न तो छुये और न ही उसे कभी बदले,उस बर्तन का ढक्कर इतनी मजबूती से बन्द होना चाहिये कि गर्मी के कारण पानी का आसवन भी नही हो,अगर ऐसे घरों में पानी की समस्या से दुखी है तो यह नमक वाला पानी रख कर देंखे,आपको जरूर फ़ायदा मिलेगा,इसके अलावा घर के वायव्य में ईशान में पूर्व में नैऋत्य और दक्षिण के बीच में एक्वेरियम स्थापित कर दें तो भी इस प्रकार का दोष खत्म हो जाता है।
पानी को उतना ही फ़ैलायें जितना कि बहुत ही जरूरी हो,पानी अमूल्य है पानी ही जीवन है,बरसात के पानी को स्टोर करने के लिये घर के बीच में एक बडा टेंक बना सकते है,इस तरह से ब्रह्म-स्थान भी सुरक्षित हो जायेगा और आसमानी आशीर्वाद भी घर के अन्दर हमेशा मौजूद रहेगा,इस प्रकार के स्थान को ईशान वायव्य और पश्चिम दिशा में बना सकते है।
बरसात के पानी को निकालने के लिये जहां तक हो उत्तर दिशा से ही निकालें,फ़िर देखें घर के अन्दर धन की आवक में कितना इजाफ़ा होता है,लेकिन उत्तर से पानी निकालने के बाद आपका मनमुटाव सामने वाले पडौसी से हो सकता है इसके लिये उससे भी मधुर सम्बन्ध बनाने की कोशिश करते रहे।
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