पूर्णता और अपूर्णता का भेद
पूर्णता वर और वधू के लिये समझने के लिये राशियों को समझना जरूरी है,पहले मेष राशि को ही लेते है,इस राशि के वर या वधू अपने शरीर से अपने स्वयं के प्रयासों से आगे बढना चाहते है,इन्हे भौतिक साधनों की सामने जरूरत होती है,अपने को संसार में दिखाने के लिये यह दोहरे स्वभाव को अपना लेते है,ठंडे के सामने गर्म और गर्म के सामने ठंडे होकर चलना इनका नियम होता है,मानसिक भावनायें अनन्त होती है माता के प्रति यह जीवन के पच्चिस साल तक समर्पित होते है,इस राशि की सम्पूर्णता उन्ही राशियों से मानी जायेगी जो इसके लिये सम्मुख साधन देने के लिये तैयार होती है,जैसे कन्या राशि सेवा भाव से जुडी राशि है,अगर मेष राशि के वर के लिये कन्या राशि की वधू से सम्बन्ध कर दिया जायेगा तो वधू इस राशि की सेवा के लिये सम्मुख खडी होगी,और कन्या राशि इस राशि की माता की राशि से तीसरी होने के कारण माता भी कन्या राशि की वधू को अपना पराक्रम मानेगी,बिना बहू के आगे नही चल पायेगी,इसके विपरीत अगर मेष राशि के वर से वृश्चिक राशि की वधू से कर दी जायेगी तो मेष राशि तो सकारात्मक राशि और वृश्चिक राशि नकारात्मक राशि है,मेष राशि मेहनत करने के बाद अपने को शो करने की इच्छा रखती है तो वृश्चिक राशि बिना मेहनत के शो करने की आदत रखती है,मेष राशि की आदत खुला रूप है तो वृश्चिक राशि की आदत गुप्त रूप से काम करने की है,मेष राशि जो भी करेगी वह चिल्ला कर करेगी और वृश्चिक राशि चुप रहकर वह काम करेगी। इसी प्रकार से अगर मेष राशि की शादी मीन राशि की वधू से कर दी जाये तो वह अपने प्रभाव से केवल पुरुष को स्त्री और स्त्री को पुरुष की चाहत को लेकर तथा शरीर को बरबाद करने के कारण पैदा करने के उपाय करने लगेगी। इस प्रकार से राशि का मिलान समझकर ही शादी करने से वर और वधू की सफ़लता प्रकट होने लगती है। इसी प्रकार से वृष राशि के सम्मुख भौतिकता का प्रदर्शन करना होता है वह लोगों के अन्दर अपने भावुकता पूर्ण विचार रखने की कोशिश करती है,उसका मन शेर की प्रकृति का होता है यानी उसे डर नही लगता है,वह चाहे अनचाहे कामो के अन्दर अपने को प्रवेश कर लेती है,वह सामाजिकता के नाते केवल यौन सम्बन्ध धर्म और रीतिरिवाज से ही स्थापित कर सकती है उसे दुनियादारी की छीछा लेदर से बहुत नफ़रत होती है,कर्म में भाग्य दिखाई देता है वह कभी भी एक काम को एक बार में नही करती है वह दो काम एक साथ लेकर चलने वाली राशि है,एक के अन्दर अगर उसे फ़ायदा होता है तो दूसरे काम के अन्दर नुकसान भी हो जाये तो उसे दिक्कत नही होती है,समाज के अन्दर अपने को प्रदर्शित करने का कारण केवल मर्यादा से ही होता है,अगर इस राशि के साथ कर्क राशि का समब्न्ध स्थापित कर दिया जाये तो दोनो राशियां एक दूसरे की पूरक हो जायेंगी और उसी जगह इस राशि वाले का साथ धनु राशि से कर दिया जाये तो एक तो धर्म और भाग्य के लिये अपना जीवन निकालने की कोशिश में होगी तो दूसरे को केवल कर्म पर विश्वास होगा,वह कर्म चाहे किसी प्रकार का क्यों न हो। इस राशि वालों का सम्बन्ध अगर मकर राशि वालों से हो जाता है तो जीवन तबाह हो जायेगा कारण मकर राशि वाला इस राशि के सामने अपने को बहुत बडा प्रदर्शित करने की कोशिश करेगा,अपने अन्दर ईगो को पाल कर चलेगा,और जीवन के अन्दर एक दूसरे की कमियां एक दूसरे को अपने आप सामने आने लगेगीं। हमने कई नाम राशियों वाले पति पत्नियों को आपस में मिलाकर प्रत्यक्ष में देखा,उनके अन्दर जो समानतायें असमानतायें सामने मिली वे इस प्रकार से है:-
- मेष राशि की शादी वृष राशि वाले के साथ होने पर मेष राशि ने वृष राशि से धन की और भौतिक साधनों की कल्पना से जीवन को निकालने की कोशिश की,या तो वृष वाला जातक मेष राशि की जरूरतों को पूरा करने के लिये धन और भौतिक साधनों की पूर्ति यहां तक कि खाने पीने का सामान भी अपने मायके या पैत्रिक खानदान से पूरा करता रहा,मेष राशि के द्वारा वृष राशि वाले जातक को लगातार सामने रखने से सन्तान की मात्रा मिस कैरिज और गर्भपात वाली समस्यायें लगातार पैदा होती रही,और एक दिन मेष राशि को वृष वाला वर या वधू कमजोरी और बीमारी के कारण परलोक सिधार गया,और अधिक जीवन को भोगने के लिये रहा भी तो केवल अपने द्वारा नौकरी व्यवसाय करने के बाद मेष राशि वाले के खर्चों को पूरा करने के लिये अधिक जीवन को भोगा.
- मेष राशि वाले की शादी अगर मिथुन राशि वाले के साथ कर दी गयी तो मेष राशि वाला अपने परिवार में भले ही छोटा था लेकिन जीवन साथी की उपाधि उसके परिवार में बडी हो गयी,मेष राशि वाला अपने जीवन साथी को अपना बल समझकर साथ लेकर चलता रहा और जीवन के रास्तों में तरक्की को प्राप्त करता गया,लेकिन जहां भी मित्र और लाभ वाली बात आयी वहां पर मेष राशि वाले के जीवन साथी ने उसे पूरा सहयोग दिया तथा उससे अपने हमेशा के फ़ायदे के लिये कोई न कोई सहारा प्राप्त करने के बाद ही उसके साथ जीवन की शुरुआत की। अक्सर आदर्श वैवाहिक जीवन मेष और मितुन राशि वाले का देखने को मिला।
- मेष राशि वाले जातक का विवाह अगर कर्क राशि वाले के साथ हुआ तो दोनो ने मिलकर घर मकान जायदाद और जनता के अन्दर अपनी पैठ बनायी,जिस दिन से मेष राशि वाले की शादी हुयी उस दिन से ही चाहे मेष राशि वाला जातक कितना ही कामचोर था लेकिन उसे जीवन के प्रति काम करने की आदत पडने लग गयी और वह तादात से अधिक काम धन्धों को करने लगा। बाहर के काम मेष राशि वाले जातक ने संभाले तो घर के काम और निजी व्यवसाय को जीवन साथी ने संभाला,उम्र की दूसरी श्रेणी में जाकर दोनो संतान के लिये सोच पाये।
- मेष राशि वाले जातक का विवाह अगर सिंह राशि वाले के साथ हो गया तो सम्बन्धो में तनाव केवल इसलिये पैदा हुआ क्योंकि आने वाले जीवन साथी ने अपने परिवार की मर्यादायें और रीति रिवाज अपने अनुसार मेष राशि वाले पर जबरदस्ती थोपने की कोशिश की और दोनो के परिवारों और समाज के अन्दर बतकही बनने लगी दोनो के अन्दर आक्षेप विक्षेप बनने लगे,जीवन साथी की राजनीति और काम करने के तरीकों से तंग आकर जीवन की तीसरी श्रेणी तक आपस के सम्बन्ध या तो विलग हो गये,या फ़िर मेष राशि वाले अन्य सम्बन्धों के अन्दर चले गये,या फ़िर उनकी अकाल मृत्यु किन्ही असमान्य कारणों से हो गयी.
- मेष राशि वाले जातकों की शादी कन्या राशि के जातकों से होने पर जीवन साथी के द्वारा हर सुख दुख कर्जा दुश्मनी बीमारी और रोजाना के कामो को अपने ऊपर धारण कर लिया गया,परिवार सन्तान और जल्दी से धन कमाने की रीतियों को जीवन साथी के द्वारा परिवार में प्रचलन में लाया गया है सन्तान की शिक्षा और बुद्धि पर उन्होने अनाप सनाप खर्च करने के बाद संतान को समाज में स्थान दिया,लेकिन घर और परिवार की छिपी हुयी राजनीति पर अपनी नजर रखने के कारण वे समाज या परिवार के कुछ लोगों के लिये बुरे भी हो गये,मेष राशि वाले अपनी इस प्रकार के जीवन साथी के व्यवहार से या तो जल्दी बुजुर्ग हो गये या किसी भी जोखिम मे जाने से अपने शरीर या धन से जल्दी बरबाद हो गये,अंत का समय बीमारी या दयनीय स्थिति में गुजारना पडा संतान के अति शिक्षित होने पर वह अपने कर्तव्यों को ही भूल गयी.
- मेष राशि वालों की शादी तुला राशि वालों से होने पर जीवन साथी के द्वारा परिवार में आते ही दोहरी नीति को सामने लाया जाने लगा,अथवा शादी के बाद मेष राशि वाले अपने ससुराल खान्दान के लिये दोहरी नीति से काम करने लगे,उनके अन्दर जीवन साथी के द्वारा व्यवसाय के प्रति अधिक झुकाव होने के कारण परिवार की प्रोग्रेस मे अपने जीवन को लगाया जाने लगा।