कभी कभी देखा होगा कि कोई व्यक्ति अमुक स्थान पर मिलने का समय देता है और जब निश्चित समय पर उस स्थान पर पहुंचते है तो वह उस स्थान पर नही मिलता है। इसके साथ यह भी देखा होगा कि एक व्यक्ति आजीवन कमाता है खूब तरक्की भी करता है और एक समय ऐसा आता है जब वह अपने को सभी तरह से लगातार नीचे ही गिराता जाता है,और अन्त मे बरबाद हो जाता है। यह सब अक्सर उन्ही के साथ देखने में आता है जिनके नाम द्वि-शब्दीय होते है,शब्द का निर्माण अक्षर से होता है और अक्षर व्यक्ति की जिन्दगी को अपने अपने बल के अनुसार चलाने के लिये माने जाते है। वैदिक काल में अक्षर को बनाकर उससे मिलने वाली शक्ति को समझकर ही प्रयोग में लाया जाता था,वैसे चलन में देखा गया है कि वैदिक काल से ही व्यक्ति का नाम चन्द्र राशि से रखा जाता है,और चन्द्रमा को भी ज्योतिष में माता के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष से चन्द्र राशि का नाम ही बच्चे का केवल इसलिये भी रखा जाता है कि वह माता के आशीर्वाद से अपने जीवन को हमेशा आगे से आगे बढाता रहे। मनसोजायते चन्द्रमा के अनुसार जो मन में उत्पन्न होता है वह सब माता की प्रकृति के अनुसार ही उत्पन्न होता है,देश काल और परिस्थिति के अनुसार भले ही बदल जाये लेकिन वह स्वभाव मन के अनुसार माता के स्वभाव से अपने अपने स्थान पर जरूर मिलता है।
द्वि-शब्दीय नाम के अनुसार व्यक्ति का नाम दो राशियों से जोडकर माना जाता है,अक्सर जो राशियां शत्रु मित्र या समान भाव वाली एक दूसरे के प्रति होती है वे अपना अपना असर अपने अपने अनुसार प्रदान करती है। एक नाम जैसे रामबाबू को देखिये,इस नाम में पहला शब्द तो तुला राशि का है और दूसरा वृष राशि का है,व्यक्ति का उठान तो तुला राशि से होता है और उसका पतन वृष राशि से होता है,कारण तुला से वृष अष्टम की राशि है और हमेशा अपमान मृत्यु और जोखिम वाले कामों को ही करने के लिये अपना अपना बल देती है। उसी प्रकार से वर्तमान में राजनीतिक क्षेत्र में प्रचलित नाम दिग्विजय के अनुसार भी समझा जा सकता है पहला शब्द मीन राशि से और दूसरा शब्द वृष राशि से होने के कारण जो भी व्यक्ति की उन्नति वाली बाते होंगी पहले वह अपने समाज और संस्थान से आगे बढेगा लेकिन अपने द्वारा तीसरे भाव का प्रयोग करने के बाद जो बोलने लिखने और अपने को प्रदर्शित करने के मामलों में सोचेगा वही उसके लिये पतन का कारण बन जायेंगे। नाम के अन्दर राशियों के अलावा भी देखने को मिलता है,कि अगर नाम की राशि के पहले शब्द का मालिक ग्रह दूसरे शब्द की राशि के मालिक से विरोधी है तो खुद के द्वारा अपने पैर में कुल्हाडी मारने वाली बात ही मानी जा सकती है। जैसे उपरोक्त नाम में पहले शब्द की राशि का मालिक गुरु है,तो दूसरे शब्द की राशि का मालिक शुक्र है,पहली नाम राशि तो व्यक्ति को अपने आचरण और व्यवहार तथा ज्ञान के द्रिष्टिकोण से आगे बढाने के लिये मानी जायेगी लेकिन दूसरे शब्द की शुक्र वाली आदत शुक्र वाले प्रभाव और शुक्र के द्वारा जो धन स्त्री और वैभव तथा भौतिकता के कारण ही अपने को बरबाद करने के लिये मुख्य कारक इकट्ठा किया जाना भी मिलेगा और वे ही उसकी मर्यादा स्थान और लोगों से अपमान दिलवाने तथा जूझने के लिये अपने प्रभाव शुरु करेंगे।
एक विदेशी व्यक्ति के नाम को समझकर देखने से पता लगता है,कि व्यक्ति के अन्दर कन्ट्रोल करने की क्षमता कैसे अपना कार्य करती है,हिटलर नाम द्वि-शब्दीय है,पहले शब्द की राशि कर्क और दूसरे शब्द की राशि मेष है,एक का स्वामी चन्द्रमा और दूसरे का स्वामी मंगल,एक की दिशा उत्तर तो दूसरे की दिशा पूर्व,इस नाम के स्वभाव के अनुसार व्यक्ति मानसिक रूप से कर्क राशि के कारकों को अपने अन्दर पहले समेटने की पूरी क्षमता रखता है और दूसरे शब्द की राशि से वह कार्य के रूप में बदलने की क्रिया को सामने करता है,कर्क राशि मेष राशि को कार्य के स्थान पर प्रयुक्त करता है,कर्क राशि का मालिक चन्द्रमा है और चन्द्रमा का दक्षिणी नकारात्मक कोण केतु के नाम से जाना जाता है,केतु ही क्रिश्चियन जाति का कारक है,इस नाम के व्यक्ति के अन्दर इस जाति के प्रति नकारात्मक भावना थी,और उसी के कारण इस नाम के व्यक्ति ने मेष राशि जो स्वभाव से अपने को बलिदान करने के नाम से जानी जाती है को अपने कार्यों के लिये प्रयोग किया और वह मेष राशि के बल से पूर्व दिशा की तरफ़ ही अपने बल को बढाता गया। इसी तरह व्यक्ति के नाम के अलावा भी हम किसी समुदाय या पार्टी के नाम को भी देखकर समझ सकते है। कांग्रेस की राशि मिथुन है,स्वामी बुध है,बुध का रंग हरा है,बुध का अंक पांच है,जैसे ही इस पार्टी ने अपने निशान को हाथ का पंजा अपना निशान बनाया यह पार्टी आगे बढने लगी,बुध बोलने कानून को बनाने अपने अनुसार चलने और मर्यादा के साथ आते ही फ़िसलने के लिये माना जाता है,इसकी सिफ़्त कमन्यूकेशन के लिये मानी जाती है,हरे रंग का होना और मुस्लिम समुदाय के प्रति उन्मुख होना भी बुध के हरे रंग का कमाल माना जा सकता है,किसी भी मुस्लिम राष्ट्र के झंडे का रंग हरा जरूर मिलेगा,हरे रंग में चन्द्रमा के अन्दर ऊपरी भाग में सितारे का होना भी चन्द्र पुत्र बुध के लिये अपनी उपस्थिति को पहिचान के रूप में देता है। मंगल केतु बुध की रक्षा करते है लेकिन वही मंगल राहु बुध को समाप्त करते है,जातियों में मंगल केतु को सुरक्षा करने वाले और क्षत्री जातियों में श्रेष्ठ जाति के प्रति भी अपनी भावना को प्रदर्शित करता है। मंगल केतु के अन्तर्गत पंजाबी सरदार की पहिचान की जाती है,भूतपूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस में आई शब्द की संस्थापक श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जैसे ही इस मंगल केतु से पंगा लिया जो बुध की सुरक्षा के लिये माना जाता था वैसे ही राहु मंगल का सहारा लेकर खुद के सुरक्षा प्रहरी मंगल केतु ने ही उनकी हत्या कर दी,वर्तमान में वही मंगल केतु उनकी प्रणाली को चलाने के लिये सहायक के रूप में उपस्थित है,लेकिन यही मंगल केतु जो वृष राशि से सम्बन्धित है रक्षा करता है,और उत्तर-पश्चिम दिशा के रूप में माना जाता है,तथा दक्षिण का मंगल केतु इस बुध के लिये राहु के रूप में अपनी बरबाद करने वाली स्थिति को भी दर्शाता है। इसी प्रकार से भारतीय जनता पार्टी नाम के अन्दर धनु राशि और मकर राशि का प्रभाव भी देखने को मिलता है,धनु राशि से मकर राशि बारहवी है,और जैसे ही यह पार्टी अपने अनुसार बारह राशियों को पार करने के बाद तेरहवीं यानी लगन के लिये उन्मुख होती है अपने ही कारणों से समाप्त हो जाती है,पाराशर ऋषि के अनुसार हर भाव का बारहवां भाव उसका विनाशक होता है,यह कारण भाजपा के अन्दर भी देखने को मिलता है.