बडे बडे ज्योतिषियों से पहल हुई के दया का स्थान कुंडली में कहाँ होता है ? ज्योतिषियों के उत्तर इस प्रकार से सामने आये :-
इन बातो के अलावा भी हजारो तरह के उत्तर सामने आये लेकिन सभी उत्तरो का रूप अगर देखा जाये तो समाज और परिवार से जुडने के बाद दया का प्रभाव पिता से मिलता है और पिता के स्थान को ही ज्योतिष मे धर्म का स्थान कहा जाता है धर्म के स्थान से जो मर्म स्थान की खोज की जाती है तो वह बारहवा स्थान ही मिलता है.- दया का स्थान जीव के ह्रदय मे होता है और ह्रदय के द्वारा ही दया का भाव उत्पन्न होता है.
- दया सम्बन्ध को समझने के बाद ही आती है सम्बन्ध सप्तम से भी होता है और ग्यारहवे से भी होते है.
- दया अनुभव के बाद ही पैदा होती है जन्म से नही होती अनुभव काम करने के बाद आता है काम का भाव दसवां है.
- दया का स्थान दिमाग मे होता है जब तक दिमाग काम नही करता है तब तक दया का अभाव ही रहता है और दिमाग का स्थान पांचवां होता है.
- दया शरीर के प्रति भी की जाती है और किसी को बखशीस देने की क्रिया भी दया कहलाती है,बखशीस नवे भाव से देखी जाती है.
- द्रश्य को देखकर समझकर और महसूस करने के बाद ही दया का प्रभाव पैदा होता है देखने की क्रिया दूसरे भाव से होती है समझने की क्रिया पांचवे भाव से होती है और महसूस करने की क्रिया चौथे भाव से होती है.
- दया का क्षेत्र समाज देश परिवार और रहने वाले स्थान की जलवायु के अनुसार मिलता है समाज नवे भाव से देखा जाता है देश बारहवे भाव से देखा जाता है जलवायु चार आठ और बारह से देखी जाती है.
- दया माता से मिलती है लेकिन माता को भी दया उनकी माता से मिलती है यह क्रिया लगातार चलती रहती है,यानी चौथे से चौथे चौथे भाव को देखते जाना.
- दया चन्द्रमा से मिलती है लेकिन छः आठ बारह का चन्द्रमा दया नही रखता है.
- दया कारण के पैदा होने के बाद ही पैदा होती है और कारण को पैदा करने के लिये राहु मंगल शनि केतु को देखा जाता है.
- दया पिता के द्वारा मिलती है कारण माता तो पैदा करने वाली होती है लेकिन पिता दया से पालता है.
- दया समाज मे प्रचलित धारणा के अनुसार मिलती है अगर समाज कसाइयों का है तो दया का रूप देखने को नही मिलेगा पर कसाई का बच्चा चोट खा जायेगा तो वह भी अपने पिता की दया से पूर्ण होता देखा जायेगा.