मछली को हमेशा से शुभ माना गया है। भाग्य के अनुसार जब किसी दिशा से भाग्य की प्राप्ति नही होती है और लगता है कि भाग्य रुक गया है तो उस दिशा में कांच के बने एक्वेरियम को स्थापित किया जाता है और अपनी राशि के अनुसार विभिन्न प्रकार की मछलियों को पाला जाता है। मछलियों की आदत होती है कि वे अपने को कभी भी रोकती नही है,उनकी कोई न कोई क्रिया पानी के अन्दर चला ही करती है। इसके बाद जल कांच के अन्दर जब भर दिया जाता है तो उसके अन्दर रोशनी को देखने के बाद पता लगता है कि वह इन्द्रधनुष जैसी आभा में दिखाई देती है। मछलियों को लगातार देखते रहने के बाद भी जी नही भरता है। इस प्रकार से भाग्य वर्धन वाली दिशा का संचालन होने के बाद रुके हुये कार्य होने लगते है और हम इसे चीन देश का दिया हुआ तोहफ़ा मानने लगते है कि यह ची नामक ऊर्जा शक्ति को प्रदान करने वाली हो,खैर जो भी हो रामचरितमानस में भी दधि और मीन के रूप में मछली को और दही को शुभ माना जाता है आज भी जब किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिये कोई घर का सदस्य बाहर जाता है तो उसके दही का तिलक किया जाता है दही को खिलाकर भेजा जाता है,और सामने मछली को रखा जाता है,जिससे कोई भी कार्य रुक नही सके। अलग अलग राशियों के लिये अलग अलग दिशाओं में एक्वेरियम को स्थापित किया जाता है।
मेष राशि के लिये भाग्य वर्धक दिशा दक्षिण-पश्चिम यानी नैऋत्य कोण को माना गया है,इस दिशा में चौकोर एक्वेरियम लगाने से तथा उसके अन्दर सात मछलिया जिनके अन्दर एक काली मछली होनी आवश्यक है बहुत अच्छा फ़ल देती है। लेकिन इस दिशा में लगाये जाने वाले एक्वेरियम का स्थान कमर से ऊंचा होना चाहिये। साथ ही ध्यान रखना चाहिये कि एक्वेरियम के अन्दर कभी पानी गंदा नही हो और जो भी मछली रखी जाये वह अपने अनुसार कभी बीमार न हो,पानी के तापमान के लिये भी ध्यान रखना आवश्यक है। बडी मछली छोटी मछली के तापमान में नही रह सकती है इसलिये समान आकार वाली मछली को रखना शुभ होता है,वैसे छ: पीली और एक काली मछली भी रखी जा सकती है।
वृष राशि के लिये घर में एक्वेरियम के लिये दक्षिण दिशा को शुभ माना गया है,और इसके अन्दर नौ लाल रंग की मछली बहुत ही शुभफ़लदायक होती है,भूल कर भी हरे रंग की सीनरी और हरे रंग के पत्थर या एक्वेरियम को सजाने वाले सामान से बचना चाहिये। इससे इस राशि वालों के लिये कभी भी धन और मान सम्मान की कमी नही आती है,अगर बहुत ही शक्ति को प्राप्त करना है तो एक्वेरियम के अन्दर लाल सफ़ेद मिक्स पत्थर डाल देने चाहिये।
मिथुन राशि के लिये दक्षिण-पूर्व यानी अग्नि कोण शुभ माना गया है,एक्वेरियम को दक्षिण पूर्व दिशा के कोने में लगाने के बाद इस राशि वालों की मदद उनके मित्रों और लगातार लाभ के साधनों से मिलनी शुरु हो जाती है। इस दिशा में इस राशि वालों को ग्यारह मछली जिसके अन्दर तीन कार्प फ़िस होनी जरूरी है रखनी चाहिये,कोई न कोई एक रंग काले सफ़ेद से सम्बन्धित भी हो सकता है,रोजाना भोजन भी इन मछलियों को घर के मालिक के द्वारा देना चाहिये और साफ़ सफ़ाई का बन्दोबस्त भी मालिक को ही करना चाहिये,एक्वेरियम को कभी भी जीना या सीढी के नीचे नही रखना चाहिये और वास्तु से जो लोग इस दिशा में रसोई आदि का निर्माण कर लेते है तो उससे बचकर ही एक्वेरियम को लगाना चाहिये।
कर्क राशि वालों के लिये भी अग्निकोण में ही मछली स्थापित करनी चाहिये और सिल्वर डालर या सफ़ेद रंग की मछलिया जिनकी संख्या समान होनी चाहिये रखना चाहिये,हरे रंग की सीनरी और पत्थरों को प्रयोग में लाया जा सकता है लेकिन भूल कर भी डरावनी या लाल रंग की सीनरी नही लगाने चाहिये। इस राशि वालों को अगर कोई दिक्कत महिलाओं के सम्बन्ध में आती है तो चौकोर की जगह गोल आकार के एक्वेरियम को लगा लेना चाहिये।
सिंह राशि वाले अपने रहने वाले स्थान में एक्वेरियम को पूर्व दिशा में लगा सकते है और गोल्डन फ़िस को पाल सकते है,लेकिन काली मछली उनके पास कम ही रुकेगी,धारी वाली मछली केट फ़िस आदि दिक्कत देने वाली होगी और पत्थरों के अन्दर पीले पत्थर ही अच्छे रहते है और हरे रंग की बैक ग्राउंड सजावट भी सही रहती है। मछलियों के अन्दर लाल धब्बे पैदा होने पर उन्हे फ़ौरन तापमान के अनुसार रखे जाने की जरूरत होती है।
कन्या राशि वालों के लिये घर की पूर्वोत्तर दिशा में एक्वेरियम लगाने से भाग्य की बढोत्तरी होती है। और जो भी धन वाले साधन होते है वे अपने अपने समय पर खुलते रहते है। इस राशि वालों के लिये भी भूरे रंग की मछली शुभ फ़लदायक होती है और सिल्वर डालर या इसी प्रकार की मछलिया फ़ायदा देने वाली होती है। भूल कर भी इस दिशा में रखे जाने वाले एक्वेरियम में काली सफ़ेद मछली नही रखनी चाहिये अन्यथा मानसिक शांति भंग होने की दिक्कत देखी जाती है।
तुला राशि वालों के लिये भी पूर्वोत्तर दिशा में पछली रखना शुभ होता है और जहां तक हो सके असमान संख्या में मछलियों को रखना चाहिये,इस क्रिया से तुला राशि वालों की कमन्यूकेशन की शक्ति बढती है और वे अपने को लगातार प्रसिद्धि और धन के क्षेत्र में उन्नति करते जाते है। लेकिन आलसी स्वभाव होने से वे अपने कार्य को दूसरे से करवाने के कारण खुद मछलियों की देखभाल नही कर पाते है इसके लिये उन्हे खुद ही प्रयास करना चाहिये,या घर में कोई बहिन बुआ या बेटी को इस काम की जिम्मेदारी देनी चाहिये.इस राशि वालों के लिये भी गोल एक्वेरियम काफ़ी सहायक सिद्ध होता देखा गया है।
वृश्चिक राशि वालों के लिये उत्तर दिशा में एक्वेरियम रखना शुभ माना गया है,और उनके लिये भी सफ़ेद मछली रखना उत्तम माना जाता है इस कार्य से उन्हे गूढ विषयों की जानकारी और धन कमाने के साधारण लोगों से अलग प्रकार के साधन मिलने लगते है। इस राशि वालों को भूल कर भी मछलियों के साथ हाथ से खेलने की भूल नही करनी चाहिये,अन्यथा उनके किसी भी प्रयास से जैसे कि बार बार उन्हे छूने या पकडने की भूल से मछली अपने वास्तविक रंगों को भी बदल सकती है और मर भी सकती है।
धनु राशि वालों के लिये उत्तर-पश्चिम दिशा में एक्वेरियम को लगाना सही रहता है,उन्हे लाल रंग की असमान संख्या में मछलियों को रखा जाना उत्तम रहता है। गोल एक्वेरियम उनके लिये भी फ़ायदा देने वाला माना जाता है,एक्वेरियम के पास अगर वे कोई पानी में पलने वाला पेड भी लगाते है तो उन्हे भाग्य में अचानक परिवर्तन मिलता है।
मकर राशि वालों को भी उत्तर पश्चिम दिशा लाभदायक सिद्ध होती है इसी दिशा में एक्वेरियम को रखा जाना उनके लिये भाग्य में बढोत्तरी करने वाला होता है। हरे रंग की बैक ग्राउंड सीनरी रखना भी लाभदायक है। इस स्थान पर एक्वेरियम रखने के बाद उनकी पैतृक स्थान में चलने वाली कर्जा दुश्मनी बीमारी आदि में लाभ वाली पोजीसन पैदा होनी शुरु हो जाती है और वे कार्य के मामले में अपने को स्थिर रखने में समर्थ होने लगते है।
कुम्भ राशि वालों के लिये भी पश्चिम दिशा में एक्वेरियम रखा शुभ होता है और सफ़ेद रंग की चितकबरी मछलियों को रखना शुभ फ़लदायी माना जाता है। इस कार्य से उनके लाभ वाले साधनों में और न्याय आदि के क्षेत्र में काफ़ी प्रगति मिलती है। अगर इस प्रकार से लोग विदेशी कार्य और व्यापार की तरफ़ भी अग्रसर होते है तो उन्हे आशातीत लाभ मिलना शुरु हो जाता है।
मीन राशि वालों के लिये भी दक्षिण पश्चिम की दिशा ही शुभ फ़लदायक होती है और उनके लिये यह जरूरी होता है कि एक्वेरियम के ऊपर किसी गोल कांच के बर्तन में नमक मिला पानी रखना उत्तम फ़लदायक होता है। वे नीले रंग की सीनरी और अपने अनुसार नीले रंग के साधन भी प्रयोग में ले सकते है। इस प्रकार से पैशाचिक शक्तियां उनसे दूर रहती है,लेकिन ध्यान रखना चाहिये कि मछली के कैसी भी हालत में मरने पर फ़ौरन दूसरी मछली को समान मात्रा में रखा जाना चाहिये।
1 comment:
गुरुजी प्रणाम,
गुरुजी आपने ये लगन राशि बताई है या चंन्द्र राशि
Post a Comment