गति से गति की प्राप्ति

शरीर और साधनों से भौतिक ऊर्जा का उत्पादन

प्रकृति ने जहाँ बल प्रयोग करने पर ऊर्जा को खर्च करना बताया है वहीं पर मानवीय दिमाग से उसी प्रकृति से कैसे ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है इसका एक छोटा सा विवेचन आपके सामने प्रस्तुत है,शरीर से भौतिक ऊर्जा को उत्पादित करने के लिये अपने प्रयासों को तेज करना पडेगा। सरकारी तंत्रों से प्राप्त ऊर्जा बहुत महंगी और वहन नही कर पाने के कारण शरीर की ऊर्जा को अन्य प्रकार से बनाने और प्रयोग करने के लिये जो साधन प्रयोग करने पड सकते है उनके लिये अपने दिमाग को थोडा सा घुमाने की जरूरत है,इसके लिये किसी बडे वैज्ञानिक या बडे प्रोडक्ट की जरूरत नही पडती है। शरीर की गतिमान स्थिति में शरीर से भौतिक ऊर्जा को किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है उसके लिये अलग अलग तरीके से सोचने की आवश्यकता है।

शरीर द्वारा प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा

मनुष्य शरीर सुबह को जागने से लेकर सोने तक गतिमान होता है,उस गतिमान अवस्था में विभिन्न तरीकों से विद्युत पैदा की जा सकती है। जैसे हाथ के हिलने से पैर के चलने से उठने पर बैठने पर व्यायाम करने पर कार्य के समय सभी जगह शरीर की गति रहने से विद्युत को पैदा किया जा सकता है,छोटे छोटे डायनोमा बनाकर शरीर की गति के अनुसार उन्हे चलाने से जो ऊर्जा प्राप्त होगी उसे शरीर की पहनी जाने वाली ड्रेस के अन्दर रीचार्जेबल बैटरी को चार्ज किया जा सकता है।

घर के अन्दर के साधनों से पैदा की जाने वाली ऊर्जा

रात को सोने के समय जिस बिस्तर को प्रयोग में लेते है उस बिस्तर के अन्दर फ़्लेक्सेबल गद्दा लगाकर या सोने वाली सतह की प्लाई के नीचे उन डायनोमा को लगाकर बिजली पैदा की जा सकती है,जैसे ही व्यक्ति करवट बदलता है,उठता है बैठता है बच्चा कूदता है,कोई भी क्रिया बिस्तर पर होते ही वह लघे हुये डाइनोमा अपना काम करने लगेंगे और पलंग के किसी भी उपयुक्त भाग में बिजली एकत्रित होती रहेगी। इसके अलावा पहनी जाने वाली चप्पलों के अन्दर लगे डायनोमाओं से बिजली बनती रहेगी जो चप्पल के अन्दर ही लगी बैटरी में एकत्रित होती रहेगी। इसके अलावा घर के फ़र्स को चलने वाली सतह के नीचे फ़्लेक्सेबल सतह बनाकर डायनोमा लगाये जा सकते है जिनसे चलने के समय भी बिजली पैदा हो सकती है। किवाडों को खोलने बन्द करने के समय भी डोर क्लोजर की तरह के डायनोमा बना कर उनसे बिजली बनाई जा सकती है। रसोई के फ़र्स को भी फ़्लेक्सेबल बनाकर उसके नीचे छोटे छोटे डायनोमा लगा कर बिजली पैदा की जा सकती है। जहाँ बरसात अधिक होती है वहाँ छत से निकलने वाले पानी को नीचे गिरने वाले स्थानों में छोटे छोटे फ़्लेट पंखडियों वाले डायनोमा लगाकर भी बिजली बनाई जा सकती है। जहाँ बर्फ़ अधिक पडती है वहाँ की छतों को वर्टिकल बनाने और वजन पडने पर एक तरफ़ झुकने तथा बर्फ़ पिघलने पर अपनी वास्तविक पोजीसन में आजाने वाली स्थिति का बनाकर उनके नीचे मूवमेण्ट के समय भी डायनोमा को चलाया जा सकता है। घर के अन्दर आने वाले पानी के नलों और छत पर रखी पानी की टंकियों से नीचे पानी के प्रेसर को भी नलों के अन्दर छोटे छोटे डायनोमा लगाकर बिजली को बनाया जा सकता है। चलने वाली हवा और गर्मी का प्रयोग भी बिजली बनाने के लिये पहले से ही प्रयोग में किया जाने लगा है लेकिन उनके लिये बडे रूप में ही साधन मिलते है छोटे रूप में नही मिलते है,इनके लिये छोटे छोटे उपकरणों का प्रयोग किया जाना बेहतर रहेगा। सोलर लाइट को लगाने के लिये सरकारी मशीनरी को और गति लाने की जरूरत है।

नदी नहर समुद्र के पानी से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा

अक्सर हवा चलने के समय समुद्र के अन्दर लहरें पैदा होती है और हर लहर के अन्दर एक गति होती है। उस गति का प्रयोग एक ऊर्जा को प्राप्त करने वाले यंत्र की तरह डायनोमा या अन्य तरफ़ के यंत्र लगाकर किया जा सकता है। नदी के बहाव में जहाँ बडे बडे बान्ध नही बनाये जा सकते है वहाँ छोटे छोटे डायनोमा लगाकर नहरों,नदियों के पानी की गति का लाभ लिया जा सकता है।

सडकों वाहनों नालियों गलियों आफ़िसों हाई-वे के द्वारा प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा

भीडभाड वाले क्षेत्रों में फ़र्स को फ़्लेक्सेबल बनाकर उनके नीचे छोटे छोटे डायनोमा लगाकर बहुत सारी बिजली बनाई जा सकती है। बडे बडे हई-वे भी इसी तरह से काम में लाये जा सकते है,रेल की पटरियों के नीचे पडने वाले भार को वर्टिकल बनाने पुलों के ऊपर पडने वाले भार की गति को प्रयोग में लाकर भी बिजली बनाई जा सकती है। वाहनों के पहियों में कम दाब वाले चुम्बकीय पटल बनाकर भी असीमित बिजली बनाई जा सकती है। शहरों के अन्दर या फ़ैक्टरियों में होने वाले शोर को डायफ़्रेम टेकनोलोजी से भी बिजली बनायी जा सकती है। गलियों में चलने वाली नालियों और बगीचों में खडे पेडों के आसपास फ़्लेक्सेबल डायनोमा लगाकर भी बिजली बनायी जा सकती है। आफ़िस में काम करने वाले स्थान पर बार बार खुलने वाले गेटों में और कार के दरवाजों में तथा सिटीबसों के गेटों में पायदानों में डायनोमा फ़िट करने के बाद भी बिजली का निर्माण किया जा सकता है।

उपरोक्त साधनों के अलावा भी कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ से आराम से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इनके लिये माइक्रोडायनोमा से लेकर छोटे बडे डायनोमा और उनके जैसे वायब्रेसन को महसूस करने वाले साधनों से हर स्थान और हर उस कार्य से बिजली बनाई जा सकती है जहाँ बल का प्रयोग किया जाता है।

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