करपात्री से कारपात्री तक

मकान का बनाना और मकान मे रहना तथा मकान के फ़ल को भोगना अलग अलग प्रकार की बाते है। मकान को सभी उसी प्रकार से बना सकते है जैसे शादी के बाद शरीर और मानसिक दशा ठीक रही तो सन्तान जल्दी आजाती है सन्तान की उम्र और मकान मे रहना दोनो एक प्रकार से देखे जाते है और सन्तान कितना सुख देगी इस बात का अन्दाज बनाये हुये मकान मे रहने से देखा जाता है। जन्म के समय मे राहु बारहवा है ओ लाख धन से युक्त घर मे जन्म ले लिया जाये सुख की प्राप्ति जन्म से लेकर एक सौ बासठ महिने की उम्र तक नही मिल पाता है,किसी न किसी प्रकार की चिन्ता हर तीसरी साल मे मिलने लगती है। उसी प्रकार से अगर घर बनाने के समय मे घर की पूर्व दिशा मे संडास बना लिया है तो इतने ही समय तक रहने वाले घर मे आफ़त का होना माना जाता है। अगर चौथे भाव मे राहु पैदा होने के समय मे है तो शिक्षा के क्षेत्र से लेकर कार्य के क्षेत्र तक किसी प्रकार की सन्तुष्टि नही मिलती है उसी प्रकार से जब घर को बनाते समय घर की उत्तर दिशा मे संडास का निर्माण कर लिया जाये तो गलत प्रसिद्धि तो मिलती ही है धन भी बेकार के साधनो से आने लगता है और इस प्रकार से घर की सन्तान किसी न किसी प्रकार से बरबाद होने लगती है। अष्टम मे राहु जन्म के समय होता है तो जीवन का पतानही होता है कि कब ऊपर जाने का बुलावा आजाये,अगर कोई धन प्रदान करने वाली राशि मे या धन देने वाले ग्रह के साथ मे राहु है तो समझना चाहिये कि धन पर यह राहु अपना हाथ साफ़ करने के बाद अपना करिश्मा दिखा देता है उसी प्रकार से जब ठीक दक्षिण-पश्चिम मे संडास का निर्माण कर दिया जाता है तो घर के सदस्य अस्पताली दवाइयों के खाने के आदी हो जाते है और घर के बुजुर्गों के अन्दर अन्जानी बीमारी हो जाने से घर के अन्दर सडांध आने लगती है घर के पास के जो पडौसी होते है वे घात लगाकर बैठे होते है कि कब इस घर मे तडफ़डाहट हो और घर वालो को अपने चंगुल मे लेकर बरबाद कर दिया जाये।

लगन का राहु जीवन के शुरुआती समय मे करपात्री यानी दूसरो के भरोसे रहकर ही कार्य करने खाने पीने शिक्षा को प्राप्त करने के लिये माना जाता है। लेकिन उम्र की दूसरी सीढी मे जाकर वह कारपात्री यानी कार घर मकान और सुख सुविधा से युक्त बना देता है। दूसरे भाव का राहु कहने को तो अपनी डींग हांकने के लिये काफ़ी होता है लेकिन जब हाथ मे देखा जाता है तो झूठ के अलावा और कुछ नही देखा जाता है,अक्सर इसी प्रकार के लोगो के लिये एक कहावत - "ढपोल शंख" की दी गयी है लेकिन उम्र की दूसरी सीढी मे जाते जाते बच गये तो कोई अन्जाना व्यक्ति आकर अपनी सहायता देने लगता है या जो भी काम दलाली से किये जाते है अक्समात ही भंडार भर देता है और वह कर पात्री से लेकर कारपात्री की श्रेणी मे आजाता है। तीसरे राहु को मेष राशि मिथुन राशि सिंह राशि तुला राशि धनु राशि कुम्भ राशि के लिये कपडो गाने बजाने मनोरंजन के साधनो अपने को प्रदर्शित करने के मामले में राजनीति के मामले मे कानूनी मामले मे बढ चढ कर बोलने की आदत होती है लेकिन जब उन्हे पता लगता है कि उनके द्वारा पैदा किये सभी साधन बेकार के हो गये है उनके लिये सिवाय अपने पूर्वजो की सम्पत्ति का सहारा लिये आगे का जीवन नही चलने वाला है तो वे कारपात्री से कर पात्री की श्रेणी मे गिने जाने लगते है।