प्लाट नम्बर 31

हम अपने अनुसार जमीन लेकर घर बनाते है और जिस प्रकार से सरकारी स्कीम और सोसाइटी हमे जमीन देती है उसका नम्बर होता है दुर्भाग्य से अगर नम्बर इकत्तीस मिलता है तो उसके बारे क्या क्या फ़ल हमे अच्छे बुरे मिलते है यह एक शोधित विषय है और इस विषय पर पच्चीस साल की विवेचना मेरे खुद के द्वारा की गयी है.
प्लाट नम्बर 31 नाम गोपाल सिंह
अपने भाइयों और घर वालो से त्यक्त होकर उक्त व्यक्ति ने अपने को बहुत ही तिरस्कृत काम मे लगाया,जैसे घोडों की साफ़ सफ़ाई करना तबेले के अन्दर से उनकी लीद साफ़ करना घोडो के दाने से कुछ हिस्सा चुराकर घर लाना और उससे परिवार की पालन पोषण की जरूरतो को पूरा करना,इसके अलावा भी शहर में अलावा समय मे घूमते रहना और जहां किसी का आवारा पशु जैसे गाय भैंस आदि देखी उसे पकड कर अपने घर मे ले आना उसकी तीमारदारी करना अगर दूध देने लग गयी तो दूध बेचना या छाछ गोबर आदि बेच कर अपने काम का गुजारा करना,अक्समात ही किसी अनजान बीमारी से ग्रसित होना और अन्तगति को प्राप्त होना.
उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र को उसी स्थान पर नौकरी पर लगना उसका भी काम वैसा ही होना जैसा बाप का था सरकारी तबेला होने के कारण पिता की मौत के बाद धन का मिलना उससे उस घर को बनवाना और उस घर मे किरायेदारो का रखना,माँ का भूखा प्यासा एक ही कमरे मे रहना कभी कभी किरायेदारो से उसे भोजन का दिया जाना या उसकी बहिनो के द्वारा समय समय पर सहायता देते रहना। अन्जान बीमारी का साथ मे बने रहना और शरीर से पनपने की बजाय कुछ भी खाने पीने का मन नही करना जब भी मन चलना तो तामसी भोजन की तरफ़ मन चलना,पत्नी का अतिचारी हो जाना कुकृत्य मे मन को लगाये रखना,किरायेदारो मे केवल पुरुषों को रखना और उनसे अपनी इच्छानुसार कार्य करवाना। सन्तान के मामले मे केवल दो पुत्री ही होना और आपरेशन के कारण किसी अन्जान नश के कटने के कारण आगे की सन्तान मे बाधा होना।दान धर्म पुण्य आदि से दूर रहना,अलावा कमाई के लिये रात को निकलना और आसपास के क्षेत्र से लकडी आदि को काटकर लाना सुखाकर बेचना आदि काम।
प्लाट नम्बर 31 नाम गोमाराम
पिता के गांव की जमीन का सरकारी क्षेत्र मे आजाना उससे मिलने वाले मुआवजे से शहर मे आकर घर का बनवा लेना और उसे किराये से चलाना। खुद को नौकरी आदि के लिये घूमना सफ़ल नही होने पर चाट पकौडी का ठेला लगाना उस काम की ओट मे अन्य अनैतिक कार्य करना,अचानक एक ही रात मे माता पिता का गुजर जाना,अन्त्येष्टि के दिन खुद का एक्सीडेन्ट हो जाना माता पिता की अर्थी को भी कन्धा नही दे पाना,उनकी मृत्योपरान्त की क्रियायें नही हो पाना। पत्नी का लकवा मे चले जाना एक तरफ़ का धड सुन्न हो जाना किसी भी दवाई से ठीक नही होना,सन्तान मे एक पुत्र और एक पुत्री का होना,पुत्र का पढाई लिखाई मे मन नही लगना उसका आवारा घूमना जवान होने पर रीकवरी के काम मे लगना जो भी कमाना वह अनैतिक कामो मे खर्च कर लेना,पुत्री का विजातीय व्यक्ति के साथ भाग जाना,पुत्र का एक हत्या के केश मे आजीवन कारावास हो जाना,जो भी मकान का किराया आना उससे पति पत्नी और वकील आदि का खर्चा करना कोर्ट कचहरी पुत्र के लिये भागते रहना लेकिन नौ साल गुजरने के बाद भी जमानत नही होना।
दुकान नम्बर 31 मेडिकल स्टोर 
प्रसिद्ध अस्पताल के सामने दुकान का होना शुरु मे बहुत जोरो से दुकान का चलना,दुकान मे अचानक तीसरी साल आग लग जाना,इन्श्योरेशं से भी कोई सहायता नही मिल पाना कम्पनियों की दवाई का भुगतान करना और उधारी का सिर पर चढ जाना,जोड तोड कर पैत्रिक सम्पत्ति का निकाल देना उसकी एवज मे फ़िर से दुकान पर माल भरना अचानक सरकारी नीति का बदलना और अस्पताल मे फ़्री दवाइयों का बंटना दुकान पर नौकर का भी खर्चा नही निकलना दवा कम्पनियों के तकादे से तंग आकर घर पर पडे रहना दुकान पर आना ही नही। सिर पर घर के खर्चो के अलावा ब्याज और इसी प्रकार के कारण पैदा होते जाना,बच्चो की शिक्षा का रुकना घर का लोन  चलना और बैंक से बार बार घर को खाली करवाने के लिये जोर आना,एक दिन घर से अचानक गायब हो जाना,बच्चे और उनकी माता के द्वारा गारमेंट की कम्पनी मे रोजनदारी से काम करना।
इसी प्रकार से अन्य घरो और दुकान व्यवसाय स्थानो आदि के नम्बरो को देखा उनके मालिको से बात की तो किसी का भी पनपने वाला कारण नही देखा।

कारण
संख्या शास्त्र के अनुसार यह नम्बर मोक्ष देने का कारक बताया गया है,इस नम्बर के अनुसार इस तारीख मे जन्म लेने वाले जातक भी अपने जीवन की जद्दोजहद मे आगे बढने की बहुत इच्छा रखते है लेकिन लाख कोशिश करने के बाद वे आगे नही निकल पाते है। तीन काम पूरे करने के बाद जैसे ही काम की आखिरी मंजिल पर जाते है उनका एक काम उन तीनो कामो को समाप्त कर देता है। यह इकत्तीस नम्बर का खेल सांप सीढी के खेल से कम नही माना जा सकता है। जैसे इस खेल मे निन्यानबे की श्रेणी मे जाते ही वापस नीचे आजाते है उसी प्रकार से इस नम्बर से जुडे जातक आगे बढकर कर भी तीसरी सीढी पर जाकर वापस नीचे आजाते है। हिन्दी शास्त्रो के अनुसार तीस के बाद एक का मतलब होता है एक महिना काम करने के बाद एक दिन और अधिक काम करना,इसी बात का प्रयोग हिब्रू ने भी अपने लेखों मे किया है कि यह नम्बर एक प्रकार से केतु की श्रेणी मे आता है और वाहन आदि के नम्बरो का जोड भी अगर इस नम्बर से आता है तो वाहन कितना ही कीमती भी क्यों न हो वह मिट्टी के भाव मे ही एक दिन चला जाता है। इस नम्बर का जातक अगर किसी प्रकार से मृत्यु सम्बन्धी कामो को करने वाला जैसे चर्च या कब्रिस्तान मे काम करने वाला होता है तो उसे आशातीत सहायताये मिलती रहती है जो डाक्टर इस तारीख के जन्म लेने वाले होते है और अपनी डाक्टरी की सेवा मुर्दो को देते है यानी पोस्टमार्टम आदि मे अपना कार्य जारी रखते है तो उनकी सेवा बहुत अच्छी चलती रहती है लेकिन इस काम को करने वाले डाक्टर राहु के द्वारा ही अपने को सुरक्षित रख पाते है यानी वे किसी न किसी प्रकार के नशे से युक्त माने जाते है। इस नम्बर वाले जातक अगर किसी के साथ चलना शुरु कर देते है तो यह भी देखा गया है कि अलावा नम्बर वाले व्यक्ति बर्फ़ मे लगने से नही बचते है। जैसे एक नम्बर वाला जातक अगर राजनीति मे सफ़ल होता चला जाता है और जैसे ही उसके साथ इस नम्बर वाला व्यक्ति साथ मे आता है उस व्यक्ति की पोजीशन बर्फ़ मे लग जाती है उसे वापस उठने मे कोई भी सहायता नही मिल पाती है। कबाडी का काम करने वाले इस नम्बर का फ़ायदा लेते देखे गये है जो माल किसी के पास नही बिकता है इस नम्बर वाले व्यक्ति उस माल को आसानी से बेचने मे सफ़ल होते देखे गये है,जो लोग इस नम्बर से युक्त है और वे भूत प्रेत तंत्र मंत्र आदि मे लग जाते है तो उनकी ख्याति अघोरी बाबा के रूप मे मिलती है। लोग उनकी कार्य शैली को साधारण आदमी की श्रेणी मे नही ला पाते है। अक्सर इस नम्बर वाले स्थान जातक आदि पर भूत प्रेतो का शासन माना जाता है।