मौके की तलाश ! यानी मौकापरस्ती.

सम्मिलित परिवार मे गृहणी को फ़ुर्सत घरेलू कामो से नही मिल पाती है,उसे मौके की तलास होती है कि वह काम के बीच मे अपने बच्चे को सम्भाल ले.आफ़िस में काम करने के समय मे आफ़िसर को मौके की तलास होती है कि मौका मिले तो वह बाजार से अपनी घर की वस्तुओं को खरीद कर घर रख दे,या अस्पताल मे भर्ती मरीज को देखकर आजाये। राजनेता को मौके की तलास होती है कि विरोधी जिस दिन किसी अपने काम मे व्यस्त हो उसी दिन किसी योजना को शुरु कर दिया जाये,जिससे विरोधी अपनी विरोधी गति विधि को प्रकाशित नही कर पाये। छुट्टी के दिन दुकानदार को मौके की तलास होती है कि सभी आसपास की दुकाने बन्द होनेके बाद वह अपनी दुकान को खोलकर अपने सामान को अधिक से अधिक बेच ले। धार्मिक स्थान पर होने वाले उत्सव मे चलते फ़िरते दुकानदारो को मौके की तलास होती है कि वह भी जुडने वाली भीड में अपनी दुकानदारी को चलाकर धन को कमा ले। बस के अन्दर जेबकट को मौके की तलास होती है कि जैसे ही यात्री किसी प्रकार की अन्य क्रिया मे उलझ जाये उसकी जेब साफ़ करने का काम पूरा हो सके। बाज को मौके की तलास होती है कि पक्षी जैसे ही किसी असुरक्षित स्थान पर बैठे उसपर झपट्टा मार कर उसे मारकर अपनी भूख को पूरा किया जा सके। चोर को मौके की तलास होती है कि रात को घर के लोग गहरी नींद मे सो रहे हो उसी समय घर मे चोरी करने का काम पूरा हो सके। अखबार मे छपी खबर को या उचित सामग्री को टीपने के लिये मौके की तलास होती है कि जैसे ही किसी विषय पर कोई बात छपे उसे टीप कर अपने काम को पूरा किया जा सके। थकान होने पर काम करने वाले को मौके की तलास होती है कि जैसे ही मालिक की नजर इधर उधर हो वह थोडा सा आराम कर सके। सडक पर लगे जाम मे मौके की तलास होती है कि जैसे ही जरा सी जगह मिले खुद जाम से बाहर जा सके। परीक्षा मे परीक्षा को देने वाले परीक्षार्थी को मौके की तलास होती है कि परीक्षक की नजर किस प्रकार से बचाकर नकल को किया जा सके। बिल्ली को मौके की तलास होती है कि जैसे ही गृहणी की नजर चूके या रसोई का दरवाजा खुला मिले वह दूध पर अपना अधिकार जमाकर क्षुधा शांत कर सके। साधारण भाषा मे यह सब बाते मौकपरस्ती के अन्दर आती है। सीमा पर भी यह मौका परस्ती देखने को मिलती है,कानून मे भी मौकापरस्ती देखने को मिलती है शहर मे भी मौका परस्ती देखने को मिलती है गांव मे भी मौका परस्ती देखने को मिलती है,घर के अन्दर और मन के अन्दर तक मौकपरस्ती देखने को मिलती है। अगर सही रूप मे देखा जाये तो यह मौकापरस्ती हर व्यक्ति जीव जानवर पक्षी किसी के अन्दर भी मिल सकती है। आखिर मे यह मौकापरस्ती कैसे काम करती है ? इसे अपने को सफ़ल होने के लिये कौन से कारण होते है? इस बात को समझने के लिये इस संसार में एक ही कारण है,जो अक्समात ही पैदा होता है और उस कारण के पैदा होने के साथ ही मौकापरस्त लोग अपनी चाल मे सफ़ल हो जाते है। कितने ही लोग जीव जन्तु अपने जीवन को मौकापरस्ती से ही निकाल रहे है।
मौकापरस्ती से अपना काम निकालने की कला केतु के द्वरा पैदा की जाती है,और मौकापरस्ती मे हानि उठाने का कारण राहु पैदा करता है। भीड में जब व्यक्ति घिर जाता है,उस समय व्यक्ति को भीड से निकल कर अपने काम को करने का भूत सवार होता है,उसे अपने सामान जेब आदि का ख्याल नही रहता है,यह एक प्रकार से एक नशा होता है उस नशे के अन्दर सावधानी के हटते ही जेब कट को मौका मिल जाता है और अपनी कला से वह जेब को साफ़ कर जाता है,जब व्यक्ति उस नशे से दूर होकर अपनी सम्भाल करता है उसी समय वह शोर मचाने लगता है,यानी जो भूला सो भटका। भुलाने वाला राहु और भटकाने वाला केतु। चार लोग एक साथ कही गये थे,तीन लोग वापस आ गये एक नही आया तो प्रकृति का कानून कहता है कि पूंछा उन तीन लोगो से ही जायेगा कि चौथा कहां है। लेकिन कभी कभी यह भी हो जाता है कि उन तीन को भी पता नही लगता है आखिर वह चौथा कहां पर गायब हो गया। यह बात उस चौथे के साथ प्रस्तुत करने वाली राहु की गति होती है और बाकी के तीन को केतु का कारण बनकर अदालत से लेकर समाज व्यवहार तक मे प्रताणित होना पडता है,जब तक उस चौथे की खोज पूरी नही होजाती है।