विवाह मिलान में राशियों की पूरकता (2)

पिछले पेज मे मैने आपको मेष राशि से तुला राशि पर्यन्त भेद जो मेरे सामने अधिकतर आते रहे उनके वारे में बताया आगे आपको मेष राशि से अन्य राशियों के बारे में किये जाने वाले वैवाहिक सम्बन्धों के लिये समझाने की कोशिश करूंगा।
  • मेष राशि से वृश्चिक राशि वालों के सम्बन्ध में जो बातें सामने आयीं उनमे अधिकतर वर या वधू ने अपने जीवन साथी को अपमान की द्रिष्टि से देखा,किसी न किसी प्रकार के जोखिम वाले काम करने के लिये उत्प्रेरित किया,मृत्यु के बाद की सम्पत्तियों को प्राप्त करने बीमा करवाने लोगों से धन लेकर उसे वापस नही करने के प्रति अथवा जासूसी और जमीनी काम करने के लिये आगे बढाने का काम किया। वर या वधू ने सामाजिक सम्बन्धों को कम निभाया और शारीरिक सुख के लिये अपने अपने शरीरों को बरबाद किया,शरीर के सम्बन्धों को अधिक बनाने के कारण एक के शरीर में बीमारियां घर करने लगीं और एक दिन वह व्यक्ति वर या वधू विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होकर या तो बिलकुल नकारात्मक हो गया है या फ़िर अपने पीछे जमा धन को या पीछे की सम्पत्तियों को छोड कर चला गया.
  • मेष राशि वालों का सम्बन्ध जब धनु राशि वालों से हुया तो वर या वधू ने सामाजिक रिस्तों पर चलने के लिये जीवन साथी को आगे बढाया। जीवन साथी ने भी पारिवारिक और सन्तान के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरी तरह से निभाया। जीवन साथी ने अपने धन को अपने द्वारा किये गये कार्यों से प्राप्त किया,कर्म पर अधिक विश्वास किया,उसी स्थान पर वर या वधू ने अपने जीवन साथी के द्वारा किये जाने वाले कार्यों के अन्दर चाहे वह घर के रहे हो या बाहर के सभी मे कर्जा दुश्मनी बीमारी निपटाने का काम किया इस प्रकार से जीवन की गति सामान्य बनकर चलती रही,धर्म भी मिला समाज भी मिला,सन्तान भी मिली और जीवन का इतिहास आगे बढने के लिये साधन भी मिले ।
  • मेष राशि वालों की शादी जब मकर राशि वालों से हुयी तो वर या वधू ने अपने जीवन साथी को काम करने की मशीन ही समझा। यहाँ तक कि घर के कामों में भी और बाहर के कामों में भी हाथ बटाने की क्रिया को जारी रखा,कार्य और मकान जायदाद बनाने के अलावा और कुछ समझ में ही नही आया,कभी फ़ालतू का समय बच गया तो जनता ने भी अपने लिये सहायतायें ली। कभी राजनीति से जुड गये कभी सरकारी कामों के अन्दर अपने बल को प्रयोग करने लगे,कभी पानी की समस्या तो कभी घर के अन्दर के सदस्यों की समस्या,अगर माता अधिक दिन तक जिन्दा रही तो उसकी तीमारदारी का काम भी बडे आराम से किया। अधिक काम करने के कारण और रति सुख से दूर रहने के कारण जीवन साथी के प्रति शंकायें बनने लगी,क्लेश केवल उन्ही आक्षेपों की वजह से हुये जो स्त्री को पुरुष से और पुरुष को स्त्री से जल्दी से लगा दिये जाते है,पिता और पिता जैसे लोगों से शक वाले कारण देखने को मिले,परिणाम में इस प्रकार के रिस्ते अधिकतर नि:संतान बनकर ही रह गये,बडे भाग्य से अगर संतान हुई भी तो वह कन्या संतान सामने आयी और बडी होकर अपने घर चली गयी।
  • मेष राशि वालों की शादी जब कुंभ राशि वाले जीवन साथी से हुयी तो इस राशि वालों ने अपने जीवन साथी को मित्र के रूप में माना,अपने जीवन साथी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना उनके लिये सुखमय हो गया। एक ने अपने को मित्र माना तो दूसरे ने अपने जीवन साथी को समझकर और लोगों के सामने प्रस्तुत करने के बाद जीवन का सर्वोत्तम उदाहरण पेश किया। अधिकतर रहने वाले स्थान से जीवन साथी की परेशानियां ही रहीं,कोई न कोई तर्क वितर्क घर परिवार में चलता रहा लेकिन दोनो ने अपने अपने दिमाग से एक दूसरे के प्रति समर्पण से अपने जीवन को मजे से जिया,चूंकि जीवन साथी की लगातार की द्रिष्टि संतान पर रही इसलिये संतान ने भी अपने कर्तव्य को पूरी तरह से निभाकर अपना फ़र्ज पूरा किया।
  • मेष राशि वालों की शादी जब मीन राशि वालों से हुयीं तो जीवन साथी ही इस राशि वालों का विनाशक बन गया,उसने सि राशि वाले को केवल सुख और बनाव श्रंगार के साधनों भौतिक कारणों और उनकी प्राप्ति के लिये उससे प्रयास रखे,कहीं न कहीं से धन की कुटुम्ब की चिन्तायें इस राशि वाले को दी जाने लगीं,एक वजन की तरह इस राशि वाले अपने जीवन साथी को लेकर चलने लगे। घूमने में बाहर का भोजन करने में सार्वजनिक संस्थाओं में अपने को जीवन भर लगाये रहे,केवल एक ही बात दिमाग में रही कि अपने अनुसार किस प्रकार से जीवन को आगे बढाया जाये,और अपना नाम किस प्रकार से किया जाये,संतान को पैदा करने में रोग लगने लगे,जिस भी काम से कर्जा हो दुश्मनी हो बीमारी हो उन्ही कामों को पैदा किया जाने लगा। पति ने पत्नी या पत्नी ने पति को कुछ समय की शारीरिक तुष्टि का साधन समझा,जब भी कोई घरेलू या पारिवारिक या सामाजिक बातों का दौर चालू हुआ तो एक कोई अलग सा मुद्दा उठाकर जीवन साथी ने अपमानित किया,कुछ समय बाद या तो बहुत बडा हर्जाना देकर जीवन साथी से दूरियां मिली या जीवन भर के लिये जेल या बेकार होकर जीवन को जिया,अगर संतान हुयी भी तो कन्या संतान की बाहुल्यता हुयी,जीवन के अन्तिम समय में वही सार्वजनिक संस्थायें या घर परिवार के सहायता देने वाले लोग सामने आये।

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