शरीर पर तिल मस्से और उनका प्रभाव

शरीर पर प्रकृति द्वारा बनाये निशान अपने आप व्यक्ति की आदतों और उसके अन्दर वाली भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिये पुराने जमाने से मानी जाती हैं। सिर से लेकर पैर तक प्रकृति अपना कोई न कोई निशान बना ही देती है और जानने वाले लोग उस निशान से व्यक्ति की आदत और स्वभाव तथा भूत वर्तमान भविष्य समझ जाते है,अक्सर थोथी बातें तब लगती है जब वह सत्यता की तरफ़ नही जाती हो,और केवल कपोल कल्पना के आधार पर लिखी गयीं हों। स्त्री पुरुष दोनो के शरीर के अंगों पर विभिन्न स्थानों पर तिल मस्से तो कहीं न कहीं उग ही जाते है,अथवा जन्म से ही होते है,कई निशान बन कर समय पर समाप्त हो जाते है और कई निशान जीवन की अलग अलग श्रेणियों में बनते भी रहते है। पहले हम आपको तिल और मस्सों के बारे में विभिन्न प्रान्तों की धारणाओं के प्रति बताने जा रहे हैं। तिल या मस्सा शरीर के किसी भी हिस्से में होते है। लेकिन चेहरे के तिल और मस्से अपने अनुसार पहिचान बना लेते है। उन्हे किसी भी प्रकार से शरीर से सर्जरी आदि से अलग भी कर दिया जाये तो भी उनका प्रभाव तो कम होते नही देखा गया है। ज्योतिष के अनुसार तिल को शनि केतु की श्रेणी में रखा गया है और मस्से को शनि केतु बुध की श्रेणी में रखा गया है। उसी जगह लहसन जो काली त्वचा के रूप में जो शरीर में कहीं भी हो सकती है के बारे में धारणा बनाई जाती है,लहसन भी काले और नीले अथवा कत्थई रंग के होते है यही हाल तिल और मस्सों में पाया जाता है। पुरुष के दाहिने और स्त्री के बायें तिल मस्सा लहसन उत्तम माने जाते है जबकि पुरुष के बायें और स्त्री के दाहिने खराब माने जाते हैं। चेहरे से पहिचान के रूप में तिलों का वर्गीकरण पहले करते हैं। जिस स्त्री के माथे पर तिल होता है वह किसी भी हिस्से में हो तो वह स्त्री को परिश्रमी बनाता है,यही बात मस्से के लिये मानी जाती है लेकिन लहसन के लिये यह बात उल्टी होती है,स्त्री के लिये माथे पर लहसन घर समाज के रीति रिवाज से बिलग होकर चलने वाली बातों के लिये माना जाता है,माथे का लहसन स्त्री को जननांगों की बीमारियों के लिये भी सूचित करता है,वह भी कोई छोटी बीमारी नही बल्कि किसी बडी बीमारी के रूप में स्त्री की जवान अवस्था में देता है। पुरुष के लिये यह लहसन अधिक कामुकता को और दुर्भाग्य को देने वाला होता है,वह हमेशा किसी न किसी नकारात्मक विचार में ही ग्रसित रहता है,सकारत्मक विचारों के आते ही उसे क्रोध आना शुरु हो जाता है। स्त्री के बायें गाल पर तिल सौभाग्यवती बनाता है,उसके पति की उम्र लम्बी होती है और वह सभी तरह के अपने कार्य पूरे करके ही मरती है लेकिन सौभाग्यवती ही मरती है। अधिकतर इस प्रकार की स्त्रियां दुराचार से दूर रहती है और अपने परिवार को भी दुराचार की तरफ़ जाने से रोकती रहती है,बिगडी स्त्रियों के लिये वह हमेशा कांटे की तरह ही चुभती रहती है,इस प्रकार की स्त्री को खरी बात कहने से कोई रोक नही सकता है,और अपने परिवार कुटुम्ब के लिये वह जान भी दे सकती है। इस प्रकार की स्त्री को हमेशा चलने की आदत होती है,जिसके बायें गाल पर तिल होता है उसकी बायीं कोख में भी तिल होता है,लेकिन काला तिल हमेशा सही रहता है लेकिन लाल तिल होने से प्रभाव उल्टे मिलते है। खून की बीमारियां घर के भेद को बाहर कहना,चोरी से घर की वस्तुओं को बरबाद करना और झूठ बोलने की आदत भी देखी जाती है। नाक के अग्रभाग पर लाल मस्सा या तिल हो तो वह गरीब घर में जन्म लेने के बाद भी वैभवशाली जिन्दगी को जीती है,और आगे ही आगे बढने में उसका हमेशा मन रहता है,संसार की लडाइयों से लडने के लिये उसने पूरे पूरे प्रयास किये होते है,अक्सर इस प्रकार की स्त्रियों के पिता का सुख नही के बराबर होता है,माता के द्वारा ही इस प्रकार की स्त्रियां पाली पोषी गयी होती है,बहिनों की संख्या भी अधिक होती है और बडी बहिन का जीवन भी इसी प्रकार की स्त्री के द्वारा संभाला जाता है। लेकिन काला तिल हो तो स्त्री को व्यभिचारिणी बनाता है वह अपने अनुसार ही चलने वाली होती है माता पिता को तभी तक मानती है जब तक वह अपने पैरों पर खडी नही हो जाती है,उसे रोकना टोकना कतई पसंद नही होता है,वह छुपे रूप से कार्य करना पसंद करती है और धनी से धनी घर में पैदा होने के बाद भी उसे गरीब और भटकने वाली स्थिति में पहुंचना पडता है। उसके ख्वाब बहुत ही लम्बे होते है,अधिक से अधिक पुरुषों से प्रीत करना और अपने स्वार्थ को पूरा करने के बाद छोड देना उसकी आदत होती है,बातों में चपलता होती है,किसी भी मोड पर पलट जाना उसकी आदत होती है। खाने पीने के मामले में उसकी आदत चटोरी होती है,तामसी भोजन की तरफ़ उसका ध्यान अधिक जाता है,घर के अन्दर कौन सी कीमती चीज कहां रखी है,प्रवेश करते ही उसका ध्यान उसी तरफ़ जाता है,खाना खाते समय चपर चपर करने की आदत होती है।
होंठ पर तिल होना भी अय्यास होने की निशानी है अक्सर इस प्रकार की स्त्रियों की शादी होते ही उनके पति का झुकाव अन्य स्त्री की तरफ़ हो जाता है और घर में क्लेश ही पैदा होते रहते है,नीचे के होंठ पर तिल पति की आयु को हरता है और ऊपर के होंठ का बीच का तिल महसूस करने की शक्ति को प्रदान करता है,और पति की आयु को भी बढाने वाला होता है। नाक के मध्य में लटकने वाला तिल भी इसी प्रकार की बात को सूचित करता है। आंख में तिल होने पर व्यक्ति परिश्रमी होता है,इसके अलावा उसे नजर से पहिचान लेने की आदत होती है,घर के लोगों के लिये समर्पित होता है,उसे अपने परिवार के प्रति कतई बुराई सुनने की आदत नही होती है,तथा इस प्रकार का व्यक्ति बात का भी पक्का होता है,यह बात स्त्री और पुरुष दोनो प्रकार के जातकों में देखी गयी है। अक्सर देखा जाता है कि स्त्री या पुरुष जातक के नीचे के होंठ पर तिल होने पर उसके घुटने पर भी तिल होता है। थोडी पर तिल होने से दायें पैर में भी तिल होता है,पुरुष के लिये अधिक संतति जो नर संतान के रूप में होती है और स्त्री के कम संतति के लिये माना जाता है। जननांग वाली बीमारियां अधिकतर लगी रहती है,पेट में गांठ बनने और उसके आपरेशन का भी योग होता है। इसी प्रकार से कान के तिल के बारे में कहा जाता है,किसी भी जातक के कान का तिल आयु को कम करता है,बायीं भौंह पर तिल होना अधिक यात्रा का सूचक माना जाता है,स्त्री के स्वभाव को समझने के लिये दाहिनी तरफ़ की स्त्री घर बाहर को जाने वाली और बायीं तरफ़ का तिल घर के अन्दर की मर्यादाओं में रहने वाली होती है। गर्दन पर तिल बार बार स्थान बदलने और घर की समस्याओं के प्रति हमेशा चिन्ता में रहने वाले के लिये देखा गया है,छाती का तिल साहस और वीरता वाले कामो के लिये माना जाता है लेकिन स्त्री पुरुष के बायीं और दाहिनी ओर का अच्छा और बुरा प्रभाव भी देखा जाता है। व्यक्ति की हथेली पर तिल का होना भी एक प्रकार से जल्दी से पहिचान करने के लिये माना जाता है,हाथ पर बने तिलों में काले रंग का तिल बहुधा मिलता है लेकिन इसका रंग कभी कभी पीले रंग का या सफ़ेद रंग का भी मिलता है,काले रंग के तिल बहुत अच्छा या बुरा प्रभाव डालने वाले होते है जबकि सफ़ेद और पीले तिल कम प्रभाव देने वाले होते हैं। हाथ के अन्दर सफ़ेद बिन्दु जैसे धब्बे अधिक सफ़लता देने वाले भी माने गये है,जबकि पीले बिन्दु दुर्भाग्य और कठिनाई वाला जीवन जीने के लिये सूचना देने वाले होते हैं। हाथ पर लाल रंग के तिल ब्लड प्रेसर की बीमारी को भी सूचित करने वाले होते है,अधिक पीले तिल शरीर में खून की कमी को भी दर्शाते हैं। हथेली के अन्दर पुरुष के दाहिने और स्त्री के बायें होने का भी अधिक महत्व माना जाता है,जिस पुरुष के दाहिने हाथ में तिल है और मुट्ठी को बन्द करते ही वह बन्द हो जाता है तो गरीब घर में भी जन्म लेने के बाद वह एक अच्छा अमीर आदमी बनता है और यही बात स्त्री के बायें हाथ में जानी जा सकती है,लेकिन मुट्ठी से बाहर होने पर वह चाहे लाख रोजाना कमाये लेकिन उसके पास धेला बचाने को नही रहता है। हथेली में गुरु क्षेत्र में काला तिल होना कार्य को करने पर बाधाओं को देने वाला होता है,लेकिन कार्य पूरा हो जाता है,वह अपनी मर्जी से चलने वाला नही होता है हमेशा दूसरों के कहने पर चला करता है,वह अपनी बुद्धि का प्रयोग नही कर पाता है। शनि पर्वत के आसपास तिल होना प्रेम सम्बन्धो के कारण बदनामी देने वाला माना जाता है,वह किसी भी आयु में बदनामी को दे सकता है। अक्सर बदनामियों के मिलने का समय उम्र के पैंतीसवें साल से शुरु होता है। अक्सर इस प्रकार के जातकों के घर परिवार में कलह अधिक होती है और आत्महत्या तक देखने को मिली हैं। यही काला तिल अगर सूर्य पर्वत के आसपास होता है तो मान सम्मान में हमेशा दिक्कत आती है,किसी न किसी बात पर उसे अपमानित होना पडता है,अच्छा काम करने के बाद भी उसे बुराई मिलती है। बुध क्षेत्र में होने वाला काला तिल व्यवसाय में हानि और बातचीत में बुराई देने वाला होता है,शुक्र क्षेत्र में होने वाले तिल से व्यक्ति का अधिक कामुक होना भी पाया जाता है।


3 comments:

Bhadauria said...

बहुत अच्छा लिखा है,इतनी जान्कारी एक साथ किसी के द्वारा नहीं दी गयी है.आगे बढते रहो,शुभाशीश

Unknown said...

बहुत अच्छा लिखा है,इतनी जान्कारी एक साथ किसी के द्वारा नहीं दी गयी है.आगे बढते रहो,शुभाशी

amit dixit kota said...

wonderful
but if classification kar diya jaye to aur bhi behtar hoga
forehead
cheak
lips
ears
neak
cheast