सिंह राशि का बारहवां सूर्य

भचक्र की पांचवी राशि सिंह राशि है,लगन में इस राशि का प्रभाव बहुत ही प्रभाव वाला माना जाता है,यह अपनी औकात के अनुसार जातक के अन्दर गुण देती है,जैसे जातक का स्वभाव बिलकुल शेर की आदत से जुडा होता है,जातक जो खायेगा वही खायेगा,जातक जहां जायेगा वहां जायेगा,जातक के लिये कोई बन्धन देने वाली बात को अगर सामने लाया जायेगा तो वह बन्धन की बात को करने वाले या बन्धन का कारण पैदा करने वाले के लिये आफ़त को देने वाला बन जायेगा। इस राशि के स्वभाव के अनुसार वह एक सीमा में अपने को बान्धने के लिये मजबूर हो जाता है,वह अपने परिवार यानी माता पिता से तभी तक सम्बन्ध रखता है जब तक माता पिता के द्वारा वह समर्थ नही हो जाता है,अक्सर जातक को माता के प्रति सहानुभूति अधिक होती है लेकिन पत्नी के आने के बाद माता से दूरिया बढ जाती है पिता को केवल पिता की शक्ति के अनुसार ही जातक मानता है जैसे ही पिता से दूरिया होती है वह अपने बच्चों और जीवन साथी के प्रति समर्पित हो जाता है और जीवन साथी के द्वारा ही उसके लिये अधिक से अधिक कार्य पूरे किये जाते है,जब तक जीवन साथी के द्वारा उसके लिये प्रयास करने के रास्ते नही दिये जाते है वह किसी भी रास्ते पर जाने के लिये उद्धत नही होता है लेकिन जीवन साथी के उकसाने के बाद वह अपने को पूरी तरह से करना या मरना के रास्ते को अपना लेता है,जितना वह जीवन साथी के लिये समर्पित होता है उतनी ही आशा अपने जीवन साथी से छल नही करने के लिये रखता है,अगर कोई शक्ति को अपना कर जीवन साथी के प्रति आघात करता है तो वह अपने अनुसार या तो अपने को पूरी तरह से समाप्त कर लेता है या अपने को इतना बेकार का बना लेता है कि वह दूसरे किसी जीवन साथी को अपना कर उसी प्रकार से त्यागना शुरु कर देता है जैसे एक कुत्ता अपने लिये कामुकता की बजह से भटकाना शुरु कर देता है। यह तभी होता है जब उसे जीवन साथी के द्वारा कोई आहत करने वाला कारण बनता है।इस राशि वाले जातक की आदत होती है कि वह अपनी शक्ति से ही कमा कर खाने में विश्वास रखता है और जब वह शक्ति से हीन हो जाता है तो अपने को एकान्त में रखकर अपनी जीवन लीला को समाप्त करने की बाट जोहने लगता है। वह दया पर निर्भर रहना नही जानता है।अक्सर इस राशि वाले की पहिचान इस प्रकार से भी की जाती है कि वह अगर किसी स्थान पर जाता है तो वह उस स्थान पर अपने को बैठाने के लिये किसी के हुकुम की परवाह नही करता है उसे जहां भी जगह मिलती है आराम से  अपनी जगह को सुरक्षित रूप से तलाश कर बैठने की कोशिश करता है। एक बात और भी देखी जाती है कि इस राशि वाले अक्सर किसी के प्रति लोभ वाली नजर से देखते है तो उनकी पहली नजर गले पर जाती है वे आंखों से आंखो को नही मिलाते है।

बारहवा स्थान भचक्र के अनुसार गुरु की वायु राशि मीन है,लेकिन सिंह लगन के लिये इस इस राशि मे पानी की राशि कर्क का स्थापन हो जाता है। कर्क राशि के स्थापन के कारण और सूर्य का बारहवे भाव में बैठना आसमान के राजा का आसमान में ही प्रतिस्थापन भी माना जाता है। यह सूर्य बडे सन्स्थानों में राजनीति वाली बाते करने और राजनीति के मामले में भी जाना जाता है,कर्क राशि घर की राशि है,और सूर्य इस राशि में लकडी अथवा वन की उपज से अपना सम्बन्ध रखता है। जातक की पहिचान और जाति के समबन्ध में कर्क राशि का सूर्य अगर किसी प्रकार से मंगल से सम्बन्ध रखता है तो जातक के परिवार को उसी परिवार से जोड कर माना जाता है जहां से जातक की उत्पत्ति होती है,जातक या तो वन पहाडों में लकडी के बने घर में पैदा होता है और पिता के द्वारा मेहनत करने के बाद वन की उपज से घर को बनाया गया होता है,जातक का पैदा होना और जातक के पिता का बारहवें भाव में होना यानी पिता का बाहर रहना भी माना जाता है। चन्द्र केतु अगर चौथे भाव में है और मंगल का भी साथ है तो जातक के पैदा होने के समय में जितनी मंगल में शक्ति है उतनी ही तकनीक को रखने वाली दाई के साये में जातक का जन्म हुआ होता है और जातक के पिता के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना होनी मानी जाती है।मंगल के साथ केतु के होने से जातक के लिये एक तकनीकी काम का करने वाला साथ ही धन वाले कारणो को पैदा करने के लिये।

मिथुन का केतु

लगन मिथुन राशि की हो और केतु लगन मे विराजमान हो तो व्यक्ति को लोगों की भीड में अग्रणी बना देता है। आज के युग मे सबसे आगे वही निकल जाता है जो कमन्यूक्शन मे परफ़ेक्ट होता है,जिसे लोगों से बोलना आता है जिसे समय पर लोगों की सहायता करना आता है जिसे बोलने की कला आती है जो धर्म नियम समाज परिवार पिता कानून विदेशी लोगों के बारे में जानकारी रखता है वही आगे निकलता चला जाता है। लगन में मिथुन राशि का केतु अपनी ताकत को सप्तम से लेता है,कोई भी व्यक्ति उससे साझेदारी वाली हैसियत में आने पर उसे असीम शक्ति को प्रदान कर देता है। राहु की शक्ति धर्म मर्यादा कानून विचारों की श्रंखला को बेलेंस बनाने के लिये शक्ति के साधनों में तालमेल बैठाने में जीवन साथी की सोच को अपने आप सही रूप में प्रदर्शन करने के लिये अपने भावों को प्रदर्शित करने के लिये अपने द्वारा जीवन की लडी जाने वाली लडाइयों के लिये चाहे वह धर्म के लिये हों सोफ़्टवेयर तकनीक के लिये हो ज्योतिष और पराशक्तियों के बारे में विश्लेषण करने के लिये हो सभी के लिये अपनी अलग से बेलेंस करने की क्षमता का विकास यह केतु अपने आप करवा लेता है,गोचर से जहां जहां यह केतु जाता है अपने अनुसार उसी भाव का फ़ल देता जाता है,राहु और केतु की चाल उल्टी होती है,तो जो व्यक्ति सीधे रास्ते से चलता है लोगों के अन्दर साधारण आदमी माना जाता है लेकिन जो कुछ अलग से और उल्टे रूप में चलता है वह अपने नाम को कमाने में जाना जाता है।
मिथुन के केतु की तीसरी नजर तीसरे भाव में सिंह राशि में होती है,यह राशि बुद्धि के लिये मानी जाती है,जब कोई केतु रूपी साधन सरकार से सम्बन्ध रखने वाली बुद्धि से सम्बन्ध रखने वाली सन्तान से सम्बन्ध रखने वाली मनोरन्जन और खेलकूद से सम्बन्ध रखने वाली हो साथ ही वह अपने अहम के लिये भी जानी जाती हो तो जातक के लिये हमेशा फ़लीभूत करने वाली होती है। तीसरे भाव का सीधा सम्पर्क सप्तम से भी होता है और सप्तम का राहु इस भाव में अपना असर देता है तो व्यक्ति के अन्दर कलाकारी का भूत सवार कर देता है,और इस भाव में अगर किसी प्रकार से शुक्र का बैठना बन जाये तो जातक बुद्धि के मामले में मनोरंजन और कम्पयूटर की एमीनेशन चित्रकारी कपडों के कामो के लिये औरतों को सजाने संवारने के लिये मनोरन्जन के मामले में खेल कूद के मामले में अपने नाम को कमाता चला जाता है लेकिन यह राहु शुक्र का असर जीवन के शुरु में तो मनोरन्जन और कलाकारी को प्रदान करता है तथा जवानी में स्त्री सम्पर्क और लव अफ़ेयर आदि की बात करता है बुढापे में चमक दमक वाली सम्पत्ति को इकट्ठा करने और अपने नाम को चमकाने के लिये अपने कार्यों को करने के लिये माना जाता है शुक्र सजावटी कामों के लिये जाना जाता है साथ ही केतु की शक्ति से अपने को कलम या ब्रुस का भी हुनरमंद होने के लिये भी संसार में उपस्थित करता है। इस भाव का मालिक कालपुरुष के अनुसार बुध है बुध हमेशा गणित और बोलने की शक्ति को प्रदान करने वाला है,अगर बुध किसी प्रकार से इस भाव से अपना सम्बन्ध रख लेता है तो व्यक्ति को एक्टर बनाने की पूरी की पूरी शक्ति प्रदान कर देता है,व्यक्ति बोलने में अपने प्रदर्शन करने में किसी से कम नही होता है। वह कपडों को पहिनें ड्रेस को बनवाने में और बनाने में वक्त के अनुसार सजाने में टीवी मीडिया कैमरा के सामने आने में विज्ञापन आदि को प्रदर्शित करने में अपनी कला का पूरा का पूरा प्रयोग कर सकता है,अक्सर इस प्रकार के लोग अगर किसी प्रकार से फ़ैसन डिजायन आदि में आजाते है तो उनका नाम हमेशा के लिये केवल फ़ैशन वाले कामो के लिये जाना जाता है। अगर इस भाव में गुरु का सम्बन्ध बन जाये तो व्यक्ति को अपने को शिक्षा या कानून के मामले में अथवा किसी प्रकार पत्नी को शिक्षा वाले मामले में जाना पडता है अथवा शादी करने के लिये किसी शिक्षा या कपडे के व्यवसाय के अन्दर अपने को रखने वाले व्यक्ति से अपना सम्पर्क रखने के लिये माना जाता है। इस राशि के केतु का पंचम में स्थापित ग्रहों और तुला राशि से होता है,तुला राशि को बेलेन्स बनाने की राशि मानी जाती है,अगर जातक का रुझान जरा भी खेल कूद में जाता है तो व्यक्ति के लिये हिम्मत और पराक्रम के लिये अपने को प्रदर्शित करने में कोई परेशानी नही होती है। इस प्रकार का व्यक्ति एक अच्छे खिलाडी के रूप में अपने को सामने ला सकता है,लेकिन शिक्षा मे जाने के बाद अगर वह खेलकूद का शिक्षक बन जाता है तो उसे हमेशा अपनी मानसिकता को मार मार कर जीना पडता है। केतु का प्रभाव पंचम के मंगल पर जाने के बाद जातक के लिये बुद्धि और परिवार से शेर कुत्ते की लडाई जैसा माहौल बन जाता है प्राथमिक शिक्षा के जमाने से ही जातक को दादागीरी करने का शौक पैदा हो जाता है और नौकरी आदि के मामले में वह हमेशा अपने द्वारा किये जाने वाले कार्यों से बडे बडे अधिकारियों के लिये आफ़त की पुडिया बना रहता है। मिथुन राशि के लिये शनि अपमान देने और जान जोखिम के लिये भी माना जाता है दूसरे उसके लिये अपमान और रिस्क वाले काम ही भाग्य के कारक बन जाते है। अगर मिथुन लगन में धन का स्वामी चन्द्रमा चौथे भाव मे हो साथ ही सूर्य जो तीसरे भाव का मालिक है साथ हो तथा चौथे भाव की राशि कन्या का प्रभाव सूर्य और चन्द्र पर हो तो माता पिता की कठिन कमाई से परिवार का बेलेंस बैठाने और अचानक आने वाले खर्चे तथा उनके पूर्वजों के कृत्य को भुगतने के कारण कोई भी साधन नही बन पाता है,बुध भी साथ हो तो किसी न किसी प्रकार से धन कमाने वाले बैंकिंग आदि के काम लेबर यूनियन के काम मेहनत से किये जाने वाले काम माने जाते है,इस केतु को अगर मंगल का असर व्याप्त हो तो शनि केतु का इकट्ठा प्रयोग फ़ायदा देने वाला होता है,इसके लिये काले रंग का धागा गले मे पहिनना पड्ता है,नाखूनो को साफ़ करने के बाद तथा सिर के बाल बढाने पर भी केतु का असर खराब होता है.

बुध का लालकिताबी रूप

"छठा तीसरा बारह बैठा वक्त घात वो करता है,
उलटा सीधा कैसे भी हो नहीं किसी से डरता है,
कथनी का घर दूजा होता करे दिखावा तीजा है,
चौथा मन में रख कर चलता समय का यही नतीजा है,
पंचम हँसे हँसावे सबको छठा गुप्त मर जाता है,
और सातवा बहिन को भोगे बात बदल डर जाता है,
अष्टम झूठा और फरेबी नवम् फिसलता किस्मत से,
दसवा राज भोग से पूरा हुकुम चलावे दस्तखत से,
भाव ग्यारह में जब जाता बड़ी बुआ बन जाता है,
यारो बुध का रूप यही है क्या से क्या कर जाता है."
अर्थ :-
बुध जब छठे भाव में हो तो मीठा बनकर लूटने में माहिर होता है,तीसरे भाव में हो तो बाते बनाने में माहिर होता है,वक्री हो या मार्गी हो वह अपनी आदत को नहीं बदलता है,बात बनाने के साथ बातो के रूप में ही वह धनवान होता है जब बुध का स्थान दूसरे भाव में हो,तीजा अपने को बात वाला बनकर दिखाने में माहिर होता है कानूनी रूप से बातो को करता है,चौथा कही हुई बात को मन में रखकर चलने वाला होता है और जो बात मन में रखकर चलता है उस बात की एवज में कब घात कर दे कोई पता नहीं होता है,माता से भी बनिया व्यवहार कर सकता है,हंसी करके मखौल करके चुटकुले सुनाकर लूटने में पंचम को माना जाता है,छठा तो मीठा होता ही है,सातवा अगर स्त्री है तो उसे भाई जैसे पुरुष के साथ और पुरुष है तो बहिन जैसी स्त्री के साथ घराने बनाकर रहने में कोई संकोच नहीं होता है,आठवा जो भी कहेगा वह सौ में एक ही सच्ची होगी,नवा कब भाग्य को एन वक्त पर पलट दे कोई पता नहीं होता है दसवा हुकुम देकर काम करवाने वाला होता है ग्यारहवा भाई की औलाद को प्यार देने वाला होता है.